Posts

प्रारूप लेखन part -1

                              प्रारूप लेखन  परिभाषा : हिंदी में प्रारूप को रूपरेखा, कच्चा मसौदा या आलेख कहा जाता है | अंग्रेजी में इसे ड्राफ्ट कहतें हैं | कार्यालयों में जब किसी आदेश ,प्रताव ,परिपत्र ,प्रपत्र,  शासकीय पत्र भेजने से पूर्व जो रूपरेखा तैयार की जाती है उसे प्रारूप कहतें |  प्रक्रिया :  इस प्रक्रिया में सर्वप्रथम लिपिक किसी पत्र का कच्चा मसौदा तैयार करता है, उसके पश्चात अनुमोदन हेतु , अधिकारी के पास भेजता है | अधिकारी इसे पढ़कर उसमे आवश्यक संशोधन कर, लिपिक को लौटा देता है | इस  प्रकार प्रारूप की प्रक्रिया पूर्ण होती है होती है |  आलेख लिखते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए : औपचारिकता  तथ्यपरकतता  संक्षिप्तता   उद्धरण   पूर्णता   अनुछेद्ध   निश्चितता   उपयुक्त भाषा शैली  पंजीयन  ```````````````````````````````````````````````````````````` प्रारूप की निम्नलिखित प्रणालियाँ  प्रचलित है : शाषकीय पत्र  अर्धशासकीय पत्र   परिपत्र  प्रपत्र  विज्ञापन  आदेश  पृष्ठांकन  अनुस्मारक  अधिसूचना  टिप्पण  ज्ञापन  निविदा 

क्रिया

                            क्रिया   क्रिया  :   जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाय, उसे क्रिया कहतें |                                       क्रिया के प्रकार : सकर्मक   क्रिया:  जिन क्रियाओं को कर्म की आव्यशकता होती है |                           जैसे: श्याम खाना खाता  है  द्विकर्मक  क्रिया  :  दो कर्म वाली क्रियाएँ | मैं  लड़के  को  वेद  पढ़ाता हूँ |  अकर्मक   क्रिया  : क्रियायों में कर्म  की आव्यशकता नहीं होती | : जैसे पक्षी उड़ते हैं   संरचना के आधार पर ६ भेद होते हैं : प्रेरणार्थक  क्रिया  : जिन  क्रियाओं में कर्ता  स्वयं   कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है                                           जैसे::काटना से कटवाना |  नामधातु  क्रिया  :   संज्ञा या विशेषण के  साथ क्रिया जुड़ने से नामधातु क्रिया बनती हैं ||                                   जैसे : भस्म करना   संयुंक्त  क्रिया   :दो या दो से  अधिक धातुओं के मिलने से बनती हैं |                                   जैसे : आना-जाना  पूर्वकालिक  क्रिया   : जब कर्ता एक क्रिया समा

स्वर एवं व्यंजन

अक्षर : मुख से निकली ध्वनि को अक्षर कहा जाता है | भाषा की सबसे छोटी मौखिक इकाई को ध्वनि या अक्षर कहा जाता है |   वर्णमाला : वर्णों के सुव्यवस्थित  क्रमबद्ध  समूह को वर्णमाला कहते हैं |  अर्थात किसी भाषा की मूलध्वनि के व्यवस्थित  समूह को  वर्णमाला कहते हैं | वैज्ञानिक तकनीकी शब्दावली आयोग नई दिल्ली द्वारा हिंदी  मानक रूप से 52 वर्ण निर्धारित किये गए है, जो क्षेत्रीय स्तर लेकर अंतरास्ट्रीय स्तर तक सर्वमान्य होते हैं | ध्वनियों को मुख्यरूप से 2 भागों में बांटा गया है |  1) स्वर 2) व्यंजन    स्वर :   वे वर्ण जिनके उच्चारण में वायु निर्बाध गति से बाहर निकलती है उन्हें स्वर वर्ण कहते हैं | वे वर्ण जो स्वतंत्र है, मौलिक है तथा बिना किसी सहायता के बोले व् लिखे जाते हैं | उन्हें स्वर वर्ण कहतें हैं |  हिंदी ंव स्वरों की संख्या 11 है |                                           अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ ,ए, ऐ, ओ, औ    उच्चारणीय आधार पर :-  हस्व स्वर :- ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में कम से कम समय लगता है,वे हस्व स्वर  कहलाते है |                      इनकी संख्या 4 निर्धारित 

पारिभाषिक/ प्रशासानिक शब्दावली

पारिभाषिक/ प्रशासानिक शब्दावली            English words                 Meaning                  1. Ad-hoc             -                 तदर्थ                        2. Adjustment                    समायोजन                                  3. Authentic                        प्रामाणिक                          4. Administration                प्रशासन                   5. Action                             कार्यवाही                   6. Annual                            वार्षिक                   7. Annul                              रद्द करना                   8. Appreciation                   सराहना                   9. Association                     संघ                  10. Award                            पंचाट                   11. Ration                             रसद                          12. Eliminate                      निकाल देना                  13. Officiating                     कार्यवाहक                  14.

सन्धि

                                              सन्धि        परिभाषा :- दो वर्णो के मिलने से उत्पन्न होने वाला विकार संधि कहलाता है |                          सन्धि मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है |                          :- स्वर ,व्यंजन और विसर्ग      *  स्वर सन्धि :- दो स्वर वर्णो के मिलने से उत्पन्न विकार को स्वर संधि कहते हैं |      स्वर संधि के प्रकार : 1 ) गुण संधि   : यदि अ ,आ के आगे इ, ई मिले तो 'ए'  होगा | यदि  अ ,आ के आगे उ, ऊ हो तो 'ओ' हो जाएगा |                                                 जैसे :- परमेश्वर :- परम + ईश्वर                                                            देवेंद्र :- देव + इंद्र                                                             नरेश :- नर + ईश                                                      2 ) दीर्घ संधि : दो सामान सवर्ण स्वरों के मिलने से उत्पन्न होने वाला विकार दीर्घ संधि कहलाता है |                                                जैसे :-  गीतावली :- गीता + अवली                   

विराम चिन्ह

विराम चिन्ह                   भावों या विचारों को स्पष्ट करने के लिए जिन चिन्हों  प्रयोग वाक्य के बीच या अंत में किया जाता है, उन्हें विराम  चिन्ह कहा जाता | विराम का शाब्दिक अर्थ होता है ठहराव |  वार्ता करते समय  वाणी गति  समानता नहीं होती , अर्थात अपना आशय ठीक प्रकार से व्यक्त करने के लिए हमे विराम चिन्हों की जरुरत पड़ती है |                               उदहारण : रोको ,मत जाने दो |                                             : रोको मत , जाने दो |     उपयोगिता :                  वाक्यों के अर्थ में स्पष्टता आती है |                 चिन्हों के  प्रयोग से वाक्यों  में उतार चढ़ाव के लाया जा सकता है |     पूर्ण विराम : (   |   )----  पूरी तरह ठहरना                                          उदहारण --    गोरा रंग | यह हाथी है |     अल्प विराम : (  , ) ---  न्यूनतम विराम के लिए                                        उदाहरण --   प्रिय महाशय, मैं आपका आभारी हूँ |      अर्द्ध   विराम : (  ; ) --- वाक्यांश को दर्शाने के लिए                                         उदाहरण-- प