स्वर एवं व्यंजन
अक्षर :
मुख से निकली ध्वनि को अक्षर कहा जाता है | भाषा की सबसे छोटी मौखिक इकाई को ध्वनि या अक्षर कहा जाता है |
वर्णमाला :
वर्णों के सुव्यवस्थित क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं | अर्थात किसी भाषा की मूलध्वनि के व्यवस्थित
समूह को वर्णमाला कहते हैं | वैज्ञानिक तकनीकी शब्दावली आयोग नई दिल्ली द्वारा हिंदी मानक रूप से 52 वर्ण निर्धारित किये गए है, जो क्षेत्रीय स्तर लेकर अंतरास्ट्रीय स्तर तक सर्वमान्य होते हैं |
ध्वनियों को मुख्यरूप से 2 भागों में बांटा गया है |
1) स्वर 2) व्यंजन
स्वर : वे वर्ण जिनके उच्चारण में वायु निर्बाध गति से बाहर निकलती है उन्हें स्वर वर्ण कहते हैं | वे वर्ण जो स्वतंत्र है, मौलिक है तथा बिना किसी सहायता के बोले व् लिखे जाते हैं | उन्हें स्वर वर्ण कहतें हैं |
हिंदी ंव स्वरों की संख्या 11 है |
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ ,ए, ऐ, ओ, औ
उच्चारणीय आधार पर :-
हस्व स्वर :- ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में कम से कम समय लगता है,वे हस्व स्वर कहलाते है |
इनकी संख्या 4 निर्धारित है | "अ , इ ,उ ,ऋ "
दीर्घ स्वर :- वे स्वर वर्ण जिनके उच्चारण में हस्व स्वर से दोगुना समय लगता है, दीर्घ स्वर कहते है |
" आ,ई ,ऊ "
संयुक्त स्वर :- दो आसमान स्वरों के मिलने से जो नया वर्ण बनते हैं, संयुक्त स्वर कहलाते हैं |
ए ,ऐ ,ओ ,औ
अ +इ = ए
अ + ए = ऐ
अ + उ = ओ
अ + ओ = औ
प्लुत स्वर :- वे स्वर वर्ण जिनके उच्चारण में हस्व स्वर से तीन गुना समय लगता है, उन्हें प्लुत स्वर कहतें हैं| जैसे : प्रथमोSध्याय
ओष्ठकृति के आधार पर :
वृत्ताकार : जिनके उच्चारण में होठो का आकार गोलाकार या वृत्ताकार हो जाता है , वृत्ताकार कहलाते हैं |
जैसे : उ, ऊ, ओ, औ
अवृत्ताकार : जिनके उच्चारण में होठो का आकार गोलाकार या वृत्ताकार नहीं होता है, अवृत्ताकार कहलाते हैं | जैसे : अ,आ,इ,ई,ए ,ऐ,अं,अः
जाती के आधार पर :
सजातीय : जो एक ही जाति का बोध करातें हैं |
अ-आ
इ - ई
विजातीय : जो एक जाती का बोध नहीं करातें हैं |
ए /ऐ - अ /इ
देवनागिरी लिपि के उच्चारण के आधार पर :
अग्र : जिव्हा के अग्र भाग से उच्चारण |
इ ,ई,ए,ऐ
इ ,ई,ए,ऐ
मध्य : उच्चारण में जीभ समान अवस्था में रहती है|
अ / आ
अ / आ
पश्च : जिव्हा के पश्च भाग से उच्चारण होता है |
उ,ऊ,ओ,औ,अं,अ:
उ,ऊ,ओ,औ,अं,अ:
व्यंजन :
वे वर्ण जिनके उच्चारण में
वायु निर्बाध गति से बाहर नहीं निकलती है|
संख्या - 33
हिन्दी के व्यंजन
क | ख | ग | घ | ङ |
च | छ | ज | झ | ञ |
ट | ठ | ड | ढ | ण |
त | थ | द | ध | न |
प | फ | ब | भ | म |
य | र | ल | व | श |
ष | स | ह | ड़ | ढ़ |
जीव्हा के आधार पर वर्गीकरण :
स्पर्श व्यंजन :- फेफड़ों से निकलने वाली वायु जीभ या मुख के किसी अंग को स्पर्श करके जो ध्वनि उत्पन्न होती है |
क
क
च
ट
त
प
अन्तस्थ व्यंजन :- वे व्यंजन जिनके उच्चारण में फेफड़ों से निकलने वाली वायु मुँह से घूमती हुई बाहर निकलकर कोई ध्वनि उत्पन्न करती है, उसे अन्तस्थ व्यंजन कहतें है|
जैसे : य ,र,ल ,व्
जैसे : य ,र,ल ,व्
उष्म व्यंजन :- उच्चारण में हवा घर्षण करती हुई बहार की तरफ उत्त्पन्न करती है |
जैसे: श,ष ,स ,ह
जैसे: श,ष ,स ,ह
संयुक्त व्यंजन : दो आसमान व्यंजन वर्णो से मिलकर बने व्यंजनों संयुक्त व्यंजन कहते हैं |
उत्क्षिप्त व्यंजन : उच्चारण में जीभ झटके से नीचे उपर नीचे होती है |
जैसे :- ड़,द
जैसे :- ड़,द
घोष के आधार पर वर्गीकरण :
अघोष : उच्चारण में स्वर तंत्रियों कंपन नहीं होता | इसके अंतर्गत पहला, दूसरा वर्ण आता है |
जैसे :- क ,ख
च ,छ
ट , ठ
त , थ
प, फ
जैसे :- क ,ख
च ,छ
ट , ठ
त , थ
प, फ
सघोष :- उच्चारण में स्वर तंत्रियों में कंपन होता है | इसके अंतर्गत प्रत्येक वर्ग का तीसरा ,चौथा और
पाँचवा वर्ण आता है साथ ही 'ह' तथा अन्तस्थ व्यंजन 'य, र, ल, व् ' आतें है |
पाँचवा वर्ण आता है साथ ही 'ह' तथा अन्तस्थ व्यंजन 'य, र, ल, व् ' आतें है |
प्राण क आधार पर :
अल्प्राण : जिनके उच्चारण में फेफड़ों से निकलने वाली वायु की मात्रा कम होती है उन्हें अल्पप्राण कहतें हैं |
इसके अंतर्गत प्रत्येक वर्ग का पहला ,तीसरा और पाँचवा वर्ण आता है और साथ ही चारों अन्तस्थ व्यंजन
(य ,र,ल ,व् ) आतें हैं |
क ग ङ
च ज ञ
त द न
ट ड ण
फ ब म
इसके अंतर्गत प्रत्येक वर्ग का पहला ,तीसरा और पाँचवा वर्ण आता है और साथ ही चारों अन्तस्थ व्यंजन
(य ,र,ल ,व् ) आतें हैं |
क ग ङ
च ज ञ
त द न
ट ड ण
फ ब म
महाप्राण :- जिनके उच्चारण में फेफड़ों से निकलने वाली वायु की मात्रा अधिक होती है उन्हें महाप्राण कहतें हैं|
इसके अंतर्गत प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा वर्ण आता है और साथ ही उष्म व्यंजन (श,ष ,स ,ह) आतें हैं |
इसके अंतर्गत प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा वर्ण आता है और साथ ही उष्म व्यंजन (श,ष ,स ,ह) आतें हैं |
ग | ङ | |||
छ | झ | |||
ठ | ढ | |||
थ | ध | |||
फ | भ | |||
र | व | |||
स | ड़ |
mppsc coaching in indore
ReplyDeleteयहाँ से आप हिंदी के स्वर और व्यंजन को विस्तृत रूप से समझ सकते हैं.
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